गर्दन में टी.बी.रोग की गठाने / Cervical Tuberculosis Lymphadenitis से डरे नहीं

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गर्दन में लिम्फ नोड्स का बढ़ जाना सर्विकल लिम्फएडेनोपैथी (Cervical lymphadenopathy) के नाम से जाना जाता है। इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं,परंतु लिम्फ नोड में ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) की वजह से गर्दन में टी.बी.रोग की गठाने / Cervical TB Lymphadenitis हो सकती हैं।

लिम्फ नोड क्या होते हैं ?

आईये  टी.बी.रोग की गठाने क्यूँ और कैसे हो जाती हैं इसको समझते हैं।

लिम्फ नोड को जानने से पहले हमें शरीर के लिम्फैटिक सिस्टम (lymphatic system) को समझना जरूरी है। हमारे शरीर में लिम्फैटिक सिस्टम (lymphatic system) हमें किटाणुओं से बचाता है, शरीर की तरल व्यवस्था को नियंत्रित रखता है और कुछ पौष्टिक पदार्थों को संचित करने और फालतू (waste) पदार्थों को शरीर से बाहर करने का कार्य करता है ।

लिम्फैटिक सिस्टम के अंतर्गत मुख्यत: 3 चीजें आती है :

  1. लिम्फ – यह एक साफ ,पानी की तरह दिखने वाला तरल पढ़ार्थ है, जिसका संचार शरीर में रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में न बह कर अपने एक अलग वाहिका सिस्टम में बहता रहता है । इस तरल में श्वेत रक्त सेल (White Blood cells) भी पाए जाते हैं ।
  2. लिम्फैटिक वाहिकाएँ (lymphatic vessels) – लिम्फ तरल इस वाहिका सिस्टम में बहता रहता है ।
  3. लिम्फ नोड – लिम्फैटिक वाहिकाओं के मार्ग में ,मटर के दाने से भी छोटी-छोटी गठाने(नोड्स) होती हैं, जहां पर श्वेत रक्त सेल जमा होते हैं । लिम्फ नोड एक छलनी की तरह कार्य करते हुए ,लिम्फ, बैक्टीरिया और वायरस, या अन्य बाहरी कणों को फ़िल्टर कर लेते हैं । शरीर पर आक्रमण हेतु प्रवेश कर चुके बैक्टीरिया और वायरस को कैद करके श्वेत रक्त सेल द्वारा नष्ट किया जाता है।

गर्दन में लिम्फ नोड्स का आकार बढ़ने के कारण

लिम्फ नोड्स सामान्य स्थिति में इतने छोटे होते हैं, कि गर्दन में छूने से पता भी नहीं चलते। परंतु लिम्फ नोड्स का आकार विभिन्न कारणों से बढ़ जाता है ,तब यह केवल दिखाई ही नहीं देने लगते है ,साथ ही छूने से गर्दन में गठान का भी पता चलता है ।

गर्दन में लिम्फ नोड्स की गठाने हो जाने के सामान्य कारण होते हैं जैसे :

  • मुहँ का कोई इन्फेक्शन ,
  • छाले
  • गले के इन्फेक्शन जैसे जुकाम , सोर थ्रोट (sore throat)
  • टॉन्सिल का इन्फेक्शन
  • दांतों का इन्फेक्शन
  • कान के इन्फेक्शन, इत्यादि

गर्दन में लिम्फ नोड्स की गठाने बढ़ जाने के कुछ दुर्लभ कारण भी होते हैं, जैसे कैंसर, ऑटो इम्यून बीमारियाँ , कुछ दुर्लभ वाइरल बीमारियाँ और एड्स। टी.बी.रोग की गठाने अथवा लिम्फ नोड्स ट्यूबरकुलोसिस भी गर्दन की गठानों का एक असामान्य कारण है।  

कैसे जाने कि लिम्फ नोड्स के बढ़ जाने का कारण सामान्य है या दुर्लभ ?

यदि लिम्फ नोड्स सामान्य कारणों से बढ़ गए हैं, तो उनका मूल कारण जैसे मुहँ ,गला ,या कान इत्यादि के इन्फेक्शन में आराम आने से यह लिम्फ नोडेस कुछ ही दिनों में छोटे हो जाएंगे।  परंतु यदि लिम्फ नोडेस का आकार और संख्या लगातार बढ़ रहा है, तो इनका कारण कुछ असमान्य हो सकता है,और ऐसी स्थिति में लिम्फ नोड्स के बढ़ने के सटीक कारण को पता लगाया जाना चाहिए।

लिम्फ नोड्स की टी.बी.

टी.बी.रोग की गठाने एक एक्स्ट्रापल्मोनरी (Extrapulmonary) टी.बी. है, यानि फेफड़ों से बाहर की टी.बी.। लिम्फ नोड्स की टी.बी. एक्स्ट्रापल्मोनरी (Extrapulmonary) टी.बी. की सबसे ज्यादा (35 प्रतिशत) होने वाली टी.बी. है, जो की 14 साल तक की उम्र के बच्चों में  तकरीबन 4.4 मरीज प्रति 1000 जनसंख्या की दर से होती है । इसका यह अर्थ नहीं की टी.बी.रोग की गठाने केवल बच्चों में ही होती हैं ,यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है।

लिम्फ नोड की टी.बी. प्रायः गर्दन में ही ज्यादातर होती है।  इसके कारण गर्दन में सामान्यत पाए जाने वाले लिम्फ नोडस का आकार बढ़ जाता है ,और यह गर्दन में स्पष्ट दिखायी देने लगते हैं। यह गठाने गर्दन में दायें या बाएँ किसी भी तरफ, एक या एक से अधिक ,अलग-अलग या आपस में चिपके हुए (Matted) किसी भी तरह हो सकते हैं।  

लिम्फ नोड्स की टी.बी. के लक्षण

  • लिम्फ नोडस का आकार बढ़ना
  • लिम्फ नोडस में पस (मवाद) हो जाना
  • यह मवाद फुट कर बहने वाला साइनस (sinus) बन सकता है
  • टी.बी. के सामान्य लक्षण; बुखार, भूख नहीं लगना ,वजन कम होना,थकावट बने रहना

टी.बी.रोग की गठाने हैं तो निदान (diagnosis) कैसे होता है ?

यदि आपको गर्दन में छोटी-छोटी गिलटियाँ दिखने लगे तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

जांच /परीक्षण : डॉक्टर द्वारा इन गठानों का फिज़िकल परीक्षण किया जाता है।

अल्ट्रसाउन्ड : गर्दन की अल्ट्रसाउन्ड जांच द्वारा इन लिम्फ नोडस का गहन परीक्षण किया जाता है ,इसमे  यह देखा जाता है कि कितनी गठाने हैं, क्या आकार है, गर्दन में किस जगह है ,पस(मवाद) तो जमा नहीं हो रहा है, ।

एफ.एन.ए.सी.(FNA) की जांच : कुछ बड़े आकार के लिम्फ नोडस की सुई द्वारा जांच की जाती है, फिर इस प्रक्रिया में निकाला गए पदार्थ (material) को विभिन्न टेस्ट जैसे साईटोलॉजी, सीबीनाट ,कल्चर जांच इत्यादि करके इसके टी.बी. के कारण होने का निदान किया जाता है।

बायोप्सी : छोटे से ऑपरेशन द्वारा गर्दन की गठान का टुकड़ा निकाला जाता है और फिर इस टिशू को जांच करके इसमे टी.बी. होने की पुष्टि की जाती है ।

उपरोक्त वर्णित जांच प्रक्रिया से टी.बी.रोग की गठाने का निदान कर लिया जाता है । निदान की पुष्टि होने उपरांत शुरू होती है उपचार प्रक्रिया।

उपचार

लिम्फ नोडस में होने वाली टी.बी. की बीमारी का इलाज संभव है। 6 माह या इस से अधिक टी.बी. की दवाओं के सेवन से लिम्फ नोड टी.बी बिल्कुल ठीक हो जाती है। फर्स्ट लाइन टी.बी. की दवाएँ ; रिफैम्पिसिन(Rifampicin), आइसोनियाजिड(Isoniazid), इथामबूटोल(Ethambutol), पाईराजिनामाईड(Pyrazinamide) के उचित सेवन करने पर यह लिम्फ नोडस छोटे हो जाते हैं और जल्दी ही टी.बी.रोग की गठाने ठीक हो जाती हैं।

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत भारत में टी.बी. का उपचार निशुल्क किया जाता है। डॉटस प्रणाली से उपचार में सरकार द्वारा मरीज के घर के पास वाले डॉटस(DOTS) सेंटर से टी.बी. की दवाईयां मुफ़्त में दी जाती हैं ।

डॉटस(DOTS) के अंतर्गत दिया जाने वाला उपचार सर्वोत्तम और निशुल्क है , इसका लाभ अधिक से अधिक टी.बी. के मरीजों तक पहुँच सके, इसके लिए भारत सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर अभियान चलाया गया है। जागरूकता हेतु प्रचार सामग्री भारत सरकार की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की वेबसाईट पर उपलब्ध है, और ईछुक व्यक्ति इस लिंक https://tbcindia.mohfw.gov.in/acsm-iec-posters/ द्वारा  इसे डाउनलोड कर सकता है ।  

कुछ एक मरीजों में इन गठानों को सर्जरी द्वारा निकाल जाना भी आवश्यक हो सकता है, या फिर कुछ मरीज सुंदरता को देखते हुए भी शल्य क्रिया करवाने हेतु सर्जन से सलाह लेते हैं ।

किसी भी प्रकार की टी.बी.की बीमारी के उपचार में पोषण का विशेष महत्व है। सभी रोगियों को एक अच्छा पोषण युक्त आहार लेने की विशेष सलाह दी जाती है।

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स्पेशलिस्ट की सलाह

टी.बी.रोग की गठानों के रोग में टी.बी.रोग उपचार के विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है यदि :

  1. निदान (diagnosis) में कोई शंका हो और मरीज दुविधा में हो ।
  2. उपचार के दौरान यदि अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं ,और यह गठाने बढ़ रही है,या ठीक नहीं हो पा रही हैं ।
  3. यदि टी.बी.रोग की गठानों में जिद्दी टी.बी. (ड्रग-रेसिस्टेंट टी.बी.) निकलती है, तो विशेषज्ञ की राय अवश्य लें ।

निष्कर्ष

टी.बी.रोग की गठानों (Cervical Tuberculosis Lymphadenitis) का सही प्रकार से निदान सिद्ध होने पर इसका उचित उपचार टी.बी.की दवाईओ द्वारा 6 या इस से अधिक समय (चिकित्सक की सलाह अनुसार) लेने से पूरी तरह से ठीक हो जाती है ।

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